
येरुशलम की..
येरुशलम की गली-गली में
हज़ूम सा है हज़ूम सा है
तमाम लोगों को आज जाने
ये क्या हुआ है ये क्या हुआ है
येरुशलम की...
1. जो मैंने पूछा तो राज़ मुझपे, खुला ये लोगो
सलीब उठा के, यहां से येशु
गुज़र रहा है गुज़र रहा है
तमाम लोगों को आज जाने
ये क्या हुआ है ये क्या हुआ है
येरुशलम की...
2.उठा के सूली हमारी खातिर, हमारा येशु
पहाड़ कलवर की सिमत देखो
वो चल दिया है वो चल दिया,
तमाम लोगों को आज जाने,
ये क्या हुआ है ये क्या हुआ है
येरुशलम की...
3. अंधेरा छाया है चारों जालिम, उदासीयों का
शहर के लोगों हर एक मंजर
बुझा बुझा है- बुझा बुझा है
तमाम लोगों को आज जाने,
ये क्या हुआ है ये क्या हुआ है
येरुशलम की...